क्या चीन अपने ही जाल मे फसेगा…??Why China Attacked on Taiwan…??
क्या चीन अपने ही जाल मे फसेगा…??
Why China Attacked on Taiwan…??
China-Taiwan news: ताइवान को डराकर अपनी ही कब्र खोद रहा है चीन, जानिए क्यों बीजिंग पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा?
अमेरिका (US) की सबसे ताकतवर नेता नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) के ताइवान (Taiwan) दौरे के बाद से ही चीन (China) भड़का हुआ है। उसका रुख ताइवान को लेकर आक्रामक बना हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो चीन ऐसा करके बस अपने लिए ही मुश्किलें बढ़ा रहा है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि चीन का ये गुस्सा उसको भारी पड़ेगा।
वॉशिंगटन: मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से ही एशिया और दुनिया का माहौल बदला हुआ है। चीन लगातार ताइवान पर आक्रामक रुख अपनाए हुए है और इसकी घेराबंदी करने में लगा हुआ है। अमेरिका के साथी देश उसके इस प्रयासों को देखकर परेशान हैं और उनकी चिंताएं दोगुनी हो गई हैं। जो स्थितियां बनी हैं, उन्हें देखने के बाद अब माना जा रहा है कि ये हालात बहुत ही खतरनाक हैं। लेकिन खतरा न तो ताइवान को है और न ही अमेरिका को बल्कि चीन को है। उनका मानना है कि ये संकट ऐसे समय में उत्पन्न हुआ है जब बीजिंग के साथ रिश्ते पहले ही मुसीबत में आ गए हैं।
चीन के विरोधियों ने मिलाया हाथ
चीन जिस तरह से आक्रामक प्रतिक्रिया दे रहा है उसने इस क्षेत्र में अमेरिका के दोस्तों और साझेदारों के लिए रिस्क बढ़ा दिया है। जिस तरह से मिसाइल लॉन्च की जा रही हैं और लाइव ड्रिल्स हो रही हैं, उसका नतीजा नकारात्मक होने वाला ह। चीन की इस हरकत के बाद उसके सारे विरोधी एक साथ हो गए हैं। चीन ने पेलोसी की यात्रा के साथ ही मिलिट्री ड्रिल लॉन्च कर दी जो इस बार काफी बड़े पैमाने पर थी।
जी-7 देशों की तरफ से चीन को वॉर्निंग दी गई कि वो जबरन ताइवान की स्थिति को बदलने के बारे में न सोचे। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि ये ड्रिल एक बड़ी समस्या है। किशिदा ने ये बात उस समय कही जब चीन ने पांच मिसाइलें लॉन्च की थीं जिसमें से एक ताइपे के ऊपर से गुजरी थीं। ये मिसाइलें जापान के इकोनॉमिक एक्सक्लूसिव जोन में जाकर गिरी थी।
इस बार काम नहीं आया डर
अमेरिका के पूर्व टॉप नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल क्रिस जॉनस्टोन ने कहा, ‘ये एक और उदाहरण है जिसमें शी जिनपिंग एक ऐसा माहौल चीन के करीब वो सुरक्षा माहौल तैयार करने में मदद कर रहे हैं जो वो खुद भी नहीं चाहते हैं।’ एरिक सेयर्स जो अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट में एक सुरक्षा विशेषज्ञ हैं, उनका कहना है कि जी-7 की तरफ से जो बयान दिया गया था वो दरअसल वो कठिन राजनयिक कार्य है जिसे बाइडेन प्रशासन ने ताइवान पर साझेदारों के साथ खास स्थिति बनाने के लिए किया है। उनका कहना है कि चीन बंटवारे की शुरुआत चाहता है और वो देशों को ताइवान पर टिप्पणी न करने के लिए डराता आ रहा है। मगर इस बार ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ है।
सारे अंदाजे गलत साबित
उनका कहना है कि जापान की स्थिति इस पूरे मुद्दे पर बताती है कि किस तरह से चीन ने सारी स्थिति को गलत समझा था। जापान, पेलोसी की यात्रा को लेकर इस वजह से चिंतित था क्योंकि वो चीन के साथ संपर्क बढ़ाने जा रहा था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने चीनी समकक्ष जिनपिंग से 5 बार बात की तो वहीं किशिदा और जिनपिंग के बीच बस एक ही फोन कॉल हुई है। किशिदा ने ये फोन कॉल उस समय की थी जब वो जापान के पीएम बने थे। लेकिन पेलोसी की यात्रा के बाद से अब जापान अब अपनी सुरक्षा को लेकर और ज्यादा चिंतित हो गया है।
ऑस्ट्रेलिया हुआ और सख्त
ऑस्ट्रेलिया भी चीन के खिलाफ रुख और सख्त करने वाला है। चार्ल्स एडल जो कि ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञ हैं वो कहते हैं कि ये तनाव उस समय हुआ है जब ये देश अपने सबसे नाजुक दौर से गुजर रहा है। इस समय यहां पर बहस जारी है कि ताइवान को लेकर अगर चीन के साथ युद्ध हुआ अमेरिका का कौन सा साथी कौन सा रोल अदा करता हुआ नजर आएगा। एक थिंक टैंक में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के विशेषज्ञ जैक बियानशी कहते हैं कि चीन की तरफ से मिलिट्री प्रतिक्रिया के साथ वन चाइना पॉलिसी को लेकर डर सामने आ गया है।